बौद्ध प्रश्न परम्परा : मानव आस्तित्व की नैतिक व्याख्या
Abstract
महात्मा बुद्ध का दर्शन मानवता का दर्शन माना जाता रहा है. आज अगर हम कहीं भी विश्वशांति, नैतिक प्रगति, मूल्ययुक्त जीवन की बात करते हैं तो बुद्ध की शिक्षाओं का वर्णन जरूत करते हैं. बुद्ध का दर्शन आधारभूत रूप में नैतिक दर्शन है और यही विशेषता उसे अन्य दर्शनों से अलग स्वरूप देती है. इसके इसी स्वरूप की वजह से यह दर्शन भारत में जन्म लेकर भी विश्व-पटल पर अपनी पहचान बना चुका है. बौद्ध दर्शन को हम प्रेम और करुणा का दर्शन भी कह सकते हैं। “बौद्ध धर्म में इन गुणों को विकसित करने के लिए अनेक तरीके सिखाए जाते हैं, और कोई भी व्यक्ति इनसे लाभान्वित हो सकता है. सभी की समानता प्रेम और करुणा का आधार है: सभी जीवन में सुख चाहते हैं; कोई भी दुख नहीं चाहता। सभी आनन्दित रहना पसन्द करते हैं। कोई भी दुखी नहीं रहना चाहता। इस दृष्टि से हम सभी एक जैसे हैं।“1